Thursday, 26 September 2013

राठोड़ों की सम्पूरण खापें और उनके ठिकाने

राठोड़ों की सम्पूरण खापें और उनके ठिकाने जोधा ,कोटडिया ,गोगादेव ,महेचा ,बाड़मेरा ,पोकरणा राडधरा ,उदावत ,खोखर ,खावड़ीया ,कोटेचा ,उनड़, इडरिया ,
राठोड़ों की प्राचीन तेरह खापें थी | राजस्थान में आने वाले सीहाजी राठोड दानेश्वरा खाप के राठोड़ थे | सीहाजी के वंशजो से जो खांपे चली वे निम्न प्रकार है |

1. इडरिया राठोड़ :- सोनग ( पुत्र सीहा ) ने इडर पर अधिकार जमाया | अतः इडर के नाम से सोनग के वंशज इडरिया राठोड़ कहलाये |
2. हटूकिया राठोड़ :- सोनग के वंशज हस्तीकुण्डी ( हटुंडी ) में रहे | वे हटूंडीया राठोड़ कहलाये | जोधपुर इतिहास में ओझा लिखते हे की सीहाजी से पहले हटकुण्डी में राष्ट्र कूट बालाप्रसाद राज करता रहा | उसके वंशज हटूंणडीया राठोड़ हे | परन्तु हस्तीकुण्डी शासन करने वाले राष्ट्रकूटों ( चंद्रवंशी ) का कोई वंशज नजर नहीं आता है | ( दोहठ ) राठोड़ - सीहा राठोड़ के बाद कर्मशः सोनग , अभयजी , सोहीजी , मेहपाल जी , , भारमल जी , व् चूंडारावजी हुए चूंडाराव अमरकोट के सोढा राणा सोमेश्वर के भांजे थे | इनके समय मुसलमान ने जोर लगाया की अमरकोट के सोढा हमारे से बेटी व्यवहार करें | तब चूंडाराव जो उस समय अमरकोट थे | इनकी सहायता से मुसलमान की बारातें बुलाई गयी एवं स्वयं इडर से सेना लेकर पहुंचे सोढों और राठोड़ों ने मिलकर मुसलमानों की बरातों को मार दिया | उस समय वीर चूंडराव को दू:हठ की उपाधि दी गयी थे अतः चूंडराव के वंशज दोहठ कहे गए | ये राठोड़ , अमरकोट , सोराष्ट्र , कच्छ , बनास कांठा , जालोर , बाड़मेर , जैसलमेर , बीकानेर जिलों में कहीं - कहीं निवास करते रहे है |

3. बाढ़ेल ( बाढ़ेर ) राठोड़ :- सीहाजी के छोटे पुत्र अजाजी के दो पुत्र बेरावली और बीजाजी ने द्वारका के चावड़ो को बाढ़ कर ( काट कर ) द्वारका ( ओखा मंडल ) पर अपना राज्य कायम किया | इसी कारन बेरावलजी के वंशज बाढ़ेल राठोड़ हुए | आजकल ये बाढ़ेर राठोड़ कहलाते है | गुजरात में पोसीतरा , आरमंडा , बेट द्वारका बाढ़ेर राठोड़ों के ठिकाने थे |

4. बाजी राठोड़ :- बेरावल जी के भाई बीजाजी के वंशज बाजी राठोड़ कहलाये है | गुजरात में महुआ , वडाना, आदीइनके ठिकाने हे | बाजी राठोड़ आज भी गुजरात में हि बसते है |

5. खेड़ेचा राठोड़ :- सीहा के पुत्र आस्थान ने गुहिलों से खेड़ जीता | खेड़ नाम से आश्थान के वंशज खेड़ेचा राठोड़ कहलाते है |
6. धुहड़ीया राठोड़ :- आस्थान के पुत्र धूहड़ के वंशज धुहड़ीया राठोड़ कहलाये |
7 . धांधल राठोड़ :- आस्थान के पुत्र धांधल के वंशज धांधल राठोड़ कहलाये | पाबूजी राठोड़ इसी खांप के थे | इन्होने चारणी को दीये गए वचनानुसार पणीग्रहण संस्कार को बीच में छोड़कर चारणी के गायों को बचाने के प्रयास में शत्रु से लड़ते हुए वीर गति प्राप्त की| यही पाबुजी लोक देवता के रूप में पूजे जाते है |

8. चाचक राठोड़ : - आस्थान के पुत्र चाचक के वंशज चाचक राठोड़ कहलाये |
9 . हरखावत राठोड़ :- आस्थान के पुत्र हरखा के वंशज
10. जोलू राठोड़ :- आस्थान के पुत्र जोपसा के पुत्र जोलू के वंशज
11 . सिंधल राठोड़ :- जोपसा के पुत्र सिंधल के वंशज | ये बड़े पराक्रमी हुए | इनका जेतारण पाली पर अधिकार था | जोधा के पुत्र सूजा ने बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां से हटाया |
12. उहड़ राठोड़ :- जोपसा के पुत्र उहड़ के वंशज
13 . मुलु राठोड़ :- जोपसा के पुत्र मुलु के वंशज
14 बरजोर राठोड़ :- जोपसा के पुत्र बरजोड के वंशज
15. जोरावत राठोड़ :- जोपसा के वंशज
16. रेकवाल राठोड़ :- जोपसा के पुत्र राकाजी के वंशज है | ये मल्लारपुर , बाराबकी , रामनगर , बड़नापुर , बहराईच उतरापरदेश में है |
17. बागड़ीया राठोड़ :- आस्थान जी के पुत्र जोपसा के पुत्र रैका से रैकवाल हुए | नोगासा बांसवाड़ा के ऐक स्तम्भ लेख बैसाख वदी 1361 में मालूम होता हे की रामा पुत्र वीरम सवर्ग सिधारा | ओझाजी ने इसी वीरम के वंशजों को बागड़ीया राठोड़ माना है | क्यूँ की बांसवाड़ा का क्षेत्र बागड़ कहलाता था |

18. छप्पनिया राठोड़ :- मेवाड़ से सटा हुआ मारवाड़ की सीमा पर छप्पन गाँवो का क्षेत्र छप्पन का क्षेत्र है | यहाँ के राठोड़ छप्पनिया राठोड़ कहलाये | यह खांप बागदीया राठोड़ों से निकली है | उदयपुर रियासत में कणतोड़ गाँव की जागीरी थी |
19. आसल राठोड़ :- आस्थान के पुत्र आसल के वंशज आसल राठोड़ कहलाये |
20. खोपसा राठोड़ :- आस्थान के पुत्र जोपसा के पुत्र खीमसी के वंशज |
21. सिरवी राठोड़ :- आस्थान के पुत्र धुहड़ के पुत्र शिवपाल के वंशज |
22. पीथड़ राठोड़ :- आस्थान के पुत्र पीथड़ के वंशज |
23. कोटेचा राठोड़ :- आस्थान के पुत्र धुहड़ के पुत्र रायपाल हुए | रायपाल के पुत्र केलण के पुत्र कोटा के वंशज कोटेचा हुए | बीकानेर जिले में करनाचंडीवाल , हरियाणा में नाथूसरी व् भूचामंडी , पंजाब में रामसरा आदी इनके गाँव है |

24. बहड़ राठोड़ :- धुहड़ के पुत्र बहड़ के वंशज |
25. उनड़ राठोड़ :- धुहड़ के पुत्र उनड़ के वंशज |
26. फिटक राठोड़ :- रायपाल के पुत्र केलण के पुत्र थांथी के पुत्र फिटक के वंशज फिटक राठोड़ हुए |
27. सुंडा राठोड़ :- रायपाल के पुत्र सुंडा के वंशज |
28 . महीपाल राठोड़ :- रायपाल के पुत्र महीपाल के पुत्र वंशज |
29. शिवराजोत राठोड़ :- रायपाल के पुत्र शिवराज के वंशज |
30. डांगी :- रामपाल के पुत्र डांगी के वंशज ढोलिन से शादी की अथवा इनके वंशज ढोली हुए |
31. मोहनोत :- रायपाल के पुत्र मोहन ने ऐक महाजन की पुत्री से शादी की | इस कारन उसके वंशज मुह्नोत वेश्य कहलाये मुह्नोत नेंणसी इसी ख्यात से थे |

32. मापावत राठोड़ :-रायपाल के वंशज मापा के वंशज
33. लूका राठोड़ :- रायपाल के वंशज लूका के वंशज
34. राजक:- रायपाल के वंशज रजक के वंशज
35. विक्रमायत राठोड़ :- रायपाल के पुत्र विक्रम के वंशज |
36. भोंवोत राठोड़ :- रायपाल के पुत्र भोवण के वंशज |
37. बांदर राठोड़ :- रायपाल के पुत्र कानपाल हुए | कानपाल के जालण और जालण के पुत्र छाडा के पुत्र बांदर के वंशज बांदर राठोड़ कहलाये | घड़सीसर ( बीकानेर ) राज्य बताते है |
38. ऊना राठोड़ :- रायपाल के पुत्र ऊडा के वंशज |
39. खोखर राठोड़ :-छाडा के पुत्र खोखर के वंशज | खोखर ने सांकडा , सनावड़ा आदी गाँवो पर अधिकार किया | और खोखर गाँव ( बाड़मेर ) बसाया | अलाऊधीन खिलजी ने सातल दे के समय सिवाना पर चढ़ाई की तब खोखर जी सातल दे के पक्ष में वीरता के साथ लड़े और युद्ध मे काम आये |
खोखर जिन गाँवो में रहते है :- जैसलमेर जिले में , निम्बली , कोहरा , भाडली , झिनझिनयाली , मूंगा , जेलू , खुडियाला , आस्कंद्र , भादरिया , गोपारयो, भलरीयो , जायीतरा, नदिया बड़ा , अडवाना, सांकडा ,पालवा ,सनावड़ा , खीखासरा , कस्वा चुरू - रालोत जोगलिया
बाड़मेर में - खोखर शिव , खोखर पार जोधपुर में - जुंडदिकयी, खुडियाला , खोखरी पाला , बिलाड़ा | नागोर में खोखरी पाली - बाली , गंदोग , खोखरी पाला , बिलाड़ा | विक्रमी 1788 में अहमदाबाद पर हमला किया गया | तब भी खोखारों ने नी वीरता दिखाई थी |

40. सिंहकमलोत राठोड़ :- छाडा के पुत्र सिंहमल के वंशज | अलाऊदीन के सातेलक के समय सिवाना पर चढ़ाई की थी |
41. बीठवासा उदावत राठोड़ :- रावल टीडा के पुत्र कानड़दे के पुत्र रावल के पुत्र त्रिभवन के पुत्र उदा की बीठवास जागीर में था | अतः उदा के वंशज बीठवासिया उदावत कहलाये | उदाजी के पुत्र बीरम जी बीकानेर रियासत के साहुवे गाँव से आये | जोधाजी ने उनको बीठवसिया गाँव के जागीर दी | इस गाँव के आलावा वेग्डीयो और धुनाड़ीया गाँव भी इनकी जागीरी में थे |
42. सलखावत राठोड़ :- छाडा के पुत्र टीडा के पुत्र सलखा के वंशज सल्खावत राठोड़ कहलाये
43. जैतमालोत :- सलखा के पुत्र जैतमाल के वंशज जैत्मालोत राठोड़ कहलाये |बीकानेर में कहीं कहीं निवास करते है |
44. जूजाणीया :- जैतमाल के पुत्र खेतसी के वंशज है | गाँव थापाणा इनकी जागीर में था |
45.राड़धरा राठोड़ :- जैतमाल के पुत्र खिंया ने राड़धरा पर अधिकार किया | अतः इनके वंशज राड़धरा कहलाये |
46 . महेचा राठोड़ :- सलखा राठोड़ के पुत्र मल्लिनाथ बड़े प्रसिद्ध हुए | बाड़मेर का महेवा क्षेत्र सलखा के पिता टीडा के अधिकार में था | विक्रमी संवत 1414 में मुस्लिम सेना का आक्रमण हुआ | सलखा को केद कर लिया गया | केद से छूटने के बाद विक्रमी संवत 14२२ में आपने श्वसुर राणा रूपसी पड़िहार की सहायता से महेवा को वापिस जीत लिया | विक्रमी संवत 1430 में मुसलमानों का फिर आक्रमण हुआ | सलखा ने वीर गति पायी |सलखा के स्थान पर ( माला ) मल्लिनाथ राज्य का स्वामी हुआ | इन्होने मुसलमानों से सिवाना का किला जीता और अपने आपने छोटे भाई जैतमाल को दे दिया | व् छोटे भाई वीरम को खेड़ की जागीरी दे दी | नगर व् भिरड़ गढ़ के किले भी मल्लिनाथ ने अधिकार में किये | मलिनाथ शक्ति संचय कर राठोड़ राज्य का विस्तार करने और हिन्दू संस्कृति की रक्षा करने पर तुले रहे | उन्होंने मुसलमानों के आक्रमण को विफल किया | मल्लिनाथ और उनकी राणी रुपादें , नाथ संप्रदाय में दिक्सीत हुए और ये दोनों सिद्ध माने गए | मल्लिनाथ के जीवन काल में हि उनके पुत्र जगमाल को गादी मिल गयी | जगमाल भी बड़े वीर थे | गुजरात का सुल्तान तीज पर इक्कठी हुयी लड़कियों को हर ले गया | तब जगमाल अपने योधाओं के साथ गुजरात गए और सुल्तान की पुत्री गीन्दोली का हरण कर लाया तब राठोड़ों और मुसलमानों में युद्ध हुआ | इस युद्ध में जगमाल ने बड़ी वीरता दिखाई | कहा जाता हे की सुल्तान के बीबी को तो युद्ध में जगह - जगह जगमाल हि दिखयी दिया
प्रस्तुत दोहा
पग पग नेजा पाड़ीया , पग -पग पाड़ी ढाल|
बीबी पूछे खान ने , जंग किता जगमाल ||
इन्ही जगमाल का महेवा पर अधिकार था | इस कारन इनके वंशज महेचा कहलाते है |
जोधपुर परगने में थोब , देहुरिया , पादरडी, नोहरो आदी इनके ठिकाने है | उदयपुर रियासत में नीबड़ी व् केलवा इनकी जागीर में थे | उनकी ख्याते निम्न है
1. पातावत महेचा :- जगमाल के पुत्र रावल मंडलीक के बाद कर्मश भोजराज , बीदा, नीसल , हापा , मेघराज व् पताजी हुए | इन्ही के वंशज पातावत कहलाये जालोर और सिरोही में इनके कई गाँव है |
2. कलावत महेचा :- मेघराज के पुत्र कल्ला के वंशज
3. दूदावत महेचा :- मेघराज के पुत्र दूदा के वंशज
4. उगा :- वरसिंह के पुत्र उगा के वंशज
47 . बाड़मेरा :- मल्लिनाथ के छोटे पुत्र अरड़कमल ने बाड़मेर इलाके नाम से इनके वंशज बाड़मेरा राठोड़ कहलाये | इनके वंशज बाड़मेर में और कई गाँवो में रहते है
48. पोकरणा :- मल्लिनाथ के पुत्र जगमाल के जिन वंशजो का पोकरण इलाके में निवास हुआ | वे पोकरणा राठोड़ कहलाये इनके गाँव सांकडा , सनावड़,लूना , चौक , मोडरड़ी , गुडी आदी जैसलमेर में है
49.खाबड़ीया :- मल्लिनाथ के पुत्र जगमाल के पुत्र भारमल हुए | भारमल के पुत्र खीमुं के पुत्र नोधक के वंशज जामनगर के दीवान रहे इनके वंशज कच्छ में है | भारमल के दुसरे पुत्र माँढण के वंशज माडवी कच्छ में रहते है वंशज खाबड़ गुजरात के इलाके के नाम से खाबड़ीया कहलाये | इनके गाँव कुछ राजस्थान के बाड़मेर में रेडाणा और देदड़ीयार है कुछ घर पाकिस्तान में भी है
50. कोटड़ीया :- जगमाल के पुत्र कुंपा ने कोटड़ा पर अधिकार किया अतः कुंपा के वंशज कोटड़ीया राठोड़ कहलाये | जगमाल के पुत्र खींव्सी के वंशज भी कोटड़ीया कहलाये इनके गाँव बाड़मेर में , कोटड़ा , बलाई , भिंयाड़ इत्यादि है |
51. गोगादे :- सलखा के पुत्र वीरम के पुत्र गोगा के वंशज गोगादे राठोड़ कहलाये | केतु ( चार गाँव ) सेखला ( 15 गाँव ) खिराज , गड़ा आदी इनके ठिकाने है
52 . देवराजोत :- बीरम के पुत्र देवराज के वंशज देवराजोत राठोड़ कहलाये | सेतरावो इनका मुख्या ठिकाना है | इसके आलावा सुवालिया आदी ठिकाने थे |
53. चाड़देवोत :- वीरम के पुत्र व् देवराज के पुत्र चाड़दे के वंशज चाड़देवोत राठोड़ कहलाये | जोधपुर परगने का देचू इनका मुख्या ठिकाना था | गीलाकोर में भी इनकी जागीरी थी |
54. जेसिधंदे :- वीरम के पुत्र जैतसिंह के वंशज
55. सतावत :- चुंडा वीरमदेवोत के पुत्र सता के वंशज
56. भींवोत :- चुंडा के पुत्र भींव के वंशज | खाराबेरा जोधपुर इनका ठिकाना था |
57. अरड़कमलोत:- चुंडा के पुत्र अरड़कमलोत वीर थे | राठोड़ों और भाटियों के शत्रुता के कारन शार्दुल भाटी जब कोडमदे मोहिल से शादी कर लोट रहा था | तब अरड़कमल ने रास्ते में युद्ध के लिए ललकारा और युद्ध में दोनों हि वीरता से लड़े शार्दुल भाटी वीरगति प्राप्त हुए और राणी कोडमदे सती हुयी | अरड़कमल भी उन घावों से कुछ दिनों बाद मर गए | इस अरड़कमल के वंशज अरड़कमल राठोड़ कहलाये |

58. रणधीरोत :- चुंडा के पुत्र रणधीर के वंशज है फेफाना इनकी जागीर थी |
59. अर्जुनोत :- राव चुंडा के पुत्र अर्जुन के वंशज |
60. कानावत :- चुंडा के पुत्र कान्हा के वंशज |
61. पूनावत :- चुंडा के पुत्र पूनपाल के वंशज है | गाँव खुदीयास इनकी जागीरी में था |
62 , जैतावत राठोड़ : राव रणमलजी के ज्येष्ठ पुत्र अखेराज थे | इनके दो पुत्र पंचायण व् महाराज हुए | पंचायण के पुत्र जैतावत कहलाये | राठोड़ों ने जब मेवाड़ के कुम्भा से मंडोर वापिस लिया उस समय अखेराज जी ने अपना अंगूठा चीरकर खून से जोधा का तिलक किया और कहा आपको मंडोर मुबारक हो |उतर में जोधाजी ने कहा आपको बगड़ी मुबारक हो | उस समय बगड़ी (सोजत परगना )मेवाड़ से छीन लिया और बगड़ी अखेराज को प्रदान कर दी तब से यह रीती चली आई थी की जब भी जोधपुर के राजा का राजतिलक बगड़ी का ठाकुर अंगूठे के खून से राजतिलक होता |और बगड़ी ऐक बार पुनः उन्हें दी जाती |अखेराज के पोत्र जैताजी बड़े वीर थे | विक्रमी संवत 1600 में हुए सुमेल के युद्ध में शेरसाह से चालाकी से मालदेव आपने पक्ष के योधाओं को लेकर पलायन कर गए थे | परन्तु जैताजी और कुंपा जी ने अदभुत पराक्रम दिखाते हुए शेरशाह की सेना का मुकाबला किया | दोनों द्वारा अनेको शत्रुओं को धरा शाही कर वीरगति पाने पर शेरशाह उनकी मृत देह को देखकर दंग रह गया था | जैतावत ने समय समय पर मारवाड़ की रक्षा और राठोड़ों की आन के लिए रणभूमि में तलवारें बजायी थी | मारवाड़ में इनका प्रमुख ठिकाना बगड़ी था तथा दूसरा खोखरा | दोनों ठिकानो को हाथ का कुरव और ताज्मी का सम्मान प्राप्त था |

1. पिरथीराजोत जैतावत :-जैताजी के पुत्र प्रथ्वीराज के वंशज कहलाये | बगड़ी मारवाड़ और सोजत खोखरो , बाली इनके ठिकाने रहे |
2. आसकरनोत जैतावत :- जैताजी के पोत्र आसकरण देईदानोत के वंशज आसकरनोत जैतावत है | मारवाड़ में थावला , आलासण , रायरो बड़ो, सदा मणी, लाबोड़ी , मुरढावों , आदी ठिकाने इनके थे |
3. भोपपोत जैतावत :- जैताजी के पुत्र देई दानजी के पुत्र भोपत के वंशज भोपपोत जैतावत कहलाते है | मारवाड़ में खांडो देवल , रामसिंह को गुडो आदी ठिकाने इनके है |

63. कलावत राठोड़ :- राव रिड़मल के पुत्र अखेराज इनके पुत्र पंचारण के पुत्र कला के वंशज कलावत राठोड़ कहलाये | कलावत राठोड़ों के मारवाड़ में हूँण व् जाढण दो गाँवो के ठिकाने थे |
64. भदावत:- राव रणमल के पुत्र अखेराज के बाद क्रमश पंचायत व् भदा हुए | इन्ही भदा के वंशज भदावत राठोड़ कहलाये | देछु जालोर के पास तथा खाबल व् गुडा सोजत के पास के मुख्या ठिकाने थे |
65. कुम्पावत :- मंडोर के रणमल जी के पुत्र अखेराज के दों पुत्र पंचायण व् महाराज हए |महाराज के पुत्र कुम्पा के वंशज कुंपावत राठोड़ कहलाये | मारवाड़ का राज्य ज़माने में कुम्पा व् पंचायण के पुत्र जेता का महत्व पूरण योगदान रहा था | चितोड़ से बनवीर को हटाने में भी कुंपा की महत्वपूरण भूमिका थी | मालदेव ने वीरम का जब मेड़ता से हटाना चाहा , कुम्पा ने मालदेव का पूरण साथ लेकर इन्होने अपना पूरण योग दिया | मालदेव ने वीरम से डीडवाना छीना तो कुंपा को डीडवाना मिला | मालदेव की 1598 विक्रमी में बीकानेर विजय करने में कुंपा की महत्वपूरण भूमिका थी | शेरशाह ने जब मालदेव पर आक्रमण किया और मालदेव को अपने सरदारों पर अविश्वास हुआ तो उन्होंने अपने साथियों सहित युद्ध भूमि छोड़ दी परन्तु जेता व् कुम्पा ने कहा धरती हमारे बाप की दादाओं के शोर्य से प्राप्त हुयी है | हम जीवीत रहते उसे जाने नहीं देंगे | दोनों वीरों ने शेरशाह की सेना से टक्कर ली अद्भुत शोर्य दिखाते हुए मात्रभूमि की रक्षार्थ बलिदान हो गए | उनकी बहादुरी से प्रभावित होकर शेरशाह के मुख से यह शब्द निकले पड़े ' मेने मुठ्ठी भर बाजरे के लिए दिल्ली सलतनत खो दी थी | यह युद्ध सुमेल के पास चेत्र सुदी ५ विक्रमी संवत 1600 इसवी संवत 1544 में हुआ | कुंपा के 8 पुत्र थे | माँडण को अकबर ने आसोप की जागीरी डी थी | आसोप कुरव कायदे में प्रथम श्रेणी का ठिकाना था | दुसरे पुत्र प्रथ्वीराज सुमेल युद्ध में मारे गए थे | उनके पुत्र महासिंह को बतालिया व् ईशरदास को चंडावल आदी के ठिकाने मिले थे | रामसिंह सुमेल युद्ध में मारे गए थे | उनके वंशजों को वचकला ठिकाना मिला | उनके पुत्र प्रताप सिंह भी सुमेल युद्ध में मारे गए |
मांडण के पुत्र खीवकर्ण ने कई युद्ध में भाग लिया वे बादशाह अकबर के मनसबदार थे | सूरसिंह जोधपुर के साथ दक्षिण के युधों में लड़े और बूंदी के साथ हुए युद्ध में काम आये |
इनके पुत्र किशनसिंह ने गजसिंह जोधपुर के साथ कई युध्दों में भाग लिया किशन सिंह ने शाहजहाँ के समुक्ख लिहत्थे नाहर को मारा | अतः ईनका नाम नाहर खां भी हुआ | विक्रमी संवत 1737 में नाहर खां ने पुष्कर में वराह मंदिर पर हमला किया | 6 अन्य कुम्पाव्तों सहित नाहर खां के पुत्र सूरज मल वहीँ काम आये | सूरज मल जी के छोटे भाई जैतसिंह दक्षिण के युद्ध में विक्रमी 1724 में काम आये | आसोप के महेशदासजी अनेक युद्धों में लड़े और मेड़ता युध्द में वीर गति पायी |
1. महेशदासोत कुम्पावत:- विक्रमी संवत 1641 में बादशाह ने सिरोही के राजा सुरतान को दंड देने मोटे राजा उदयसिंह को भेजा | इस युध् में महेशदास के पुत्र शार्दूलसिंह ने अद्भुत पराक्रम दिखाया और वहीँ रणखेत में रहे | अतः उनके वंशज भावसिंह को 1702 विक्रमी में कटवालिया के अलावा सिरयारी बड़ी भी उनका ठिकाना था | ऐक ऐक गाँव के भी काफी ठिकाने थे |
2. इश्वरदासोत कुंपावत :- कुंपा के पुत्र इश्वरदास के वंशज कहलाये | इनका मुख्या ठिकाना चंडावल था | यह हाथ कुरब का ठिकाना था | इश्वरदास के वंशज चाँद सिंह को महाराजा सूरसिंह ने 1652 विक्रमी में प्रदान किया था | 1658 ईस्वी के धरमत के युद्ध में चांदसिंह के पुत्र गोर्धनदास युद्ध में घोड़ा उठाकर शत्रुओं को मार गिराया और स्वयं भी काम आये | इस ठिकाने के नीचे 8 अन्य गाँव थे | राजोसी खुर्द , माटो ,सुकेलाव इनके ऐक ऐक गाँव ठिकाने है |
3. मांडनोत कुम्पावत:- कुम्पाजी के बड़े पुत्र मांडण के वंशज माँडनोत कहलाये | इनका मुख्या ठिकाना चांदेलाव था | जिसको माँडण के वंशज छत्र सिंह को विजय सिंह ने इनायत किया | इनका दूसरा ठिकाना रुपाथल था | जगराम सिंह को विक्रमी में गजसिंह पूरा का ठिकाना भी मिला | 1893 में वासणी का ठिकाना मानसिंह ने इनायत किया | लाडसर भी इनका ठिकाना था | यहाँ के रघुनाथ सिंह , अभयसिंह द्वारा बीकानेर पर आक्रमण करने के समय हरावल में काम आये | जोधपुर रियासत में आसोप , गारासणी , सर्गियो , मीठड़ी आदी , इनके बड़े ठिकाने थे |
4. जोधसिंहोत कुम्पावत:- कुम्पाजी के बाद क्रमश माँडण , खीवकण , किशनसिंह , मुकुन्दसिंह , जैतसिंह , रामसिंह , व् सरदारसिंह हुए |सरदार सिंह के पुत्र जोधसिंह ने महाराजा अभयसिंह जोधपुर की तरह अहमदाबाद के युद्ध में अच्छी वीरता दिखाई | महराजा ने जोधसिंह को गारासण खेड़ा, झबरक्या और कुम्भारा इनायत दिया |इनके वंशज कहलाये जोधसिन्होत
5.महासिंह कुम्पावत :- कुम्पाजी के पुत्र महासिंह के वंशज महासिंहोत कहलाते है \ महाराजा अजीतसिंह ने हठ सिंह फ़तेह सिंह को सिरयारी का ठिकाना इनायत दिया | 1847 विक्रमी में सिरयारी के केशरी सिंह मेड़ता युद्ध में काम आये | सिरयारी पांच गाँवो का ठिकाना था |
6. उदयसिंहोत कुंपावत :- कुम्पाजी के चोथे पुत्र उदयसिंह के वंशज उदयसिंहोत कुम्पावत कहलाते है | उदयसिंह के वंशज छतरसिंह को विक्रमी 1831 में बूसी का ठिकाना मिला | विक्रमी संवत 1715 के धरमत के युद्ध में उदयसिंह के वंशज कल्याण सिंह घोड़ा आगे बढाकर तलवारों की रीढ़ के ऊपर घुसे और वीरता दिखाते हुए काम आये | यह कुरब बापसाहब का ठिकाना था | चेलावास ,मलसा , बावड़ी , हापत, सीहास, रढावाल , मोड़ी ,आदी ठिकाने छोटे ठिकाने थे |
7.तिलोकसिन्होत कुम्पावत:- कूम्पा के सबसे छोटे पुत्र तिलोक सिंह के वंशज तिलोकसिन्होत कूम्पावत कहलाये | तिलोकसिंह ने सूरसिंह जोधपुर की तरह से किशनगढ़ के युद्ध में वीरगति प्राप्त की | इस कारन तिलोक सिंह के पुत्र भीमसिंह को घणला का ठिकाना सूरसिंह जोधपुर ने विक्रमी 1654 में इनायत किया |

66. जोधा राठोड़ :- राव रिड़मल के पुत्र जोधा के वंशज जोधा राठोड़ कहलाये | जोधा राठोड़ों की निम्न खांप है |
1. बरसिन्होत जोधा :- जोधा की सोनगरी राणी के पुत्र बरसिंह के वंशज बरसिन्होत जोधा कहलाये |बरसिंह अपने भाई दुदा के साथ मेड़ते रहे | परन्तु मुसलमानों ने उन्हें मेड़ते से निकाल दिया | मालवा के झबुवा में बरसिन्होत जोधा राठोड़ों का राज्य था |
2. रामावत जोधा :- जोधपुर के शासक जोधा के बाद क्रमश बरसिंह आसकरण हुए | आसकरण के पोत्र रामसिंह ने बांसवाड़ा की गद्दी के लिए चौहानों और राठोड़ों के बीच युद्ध विक्रमी 1688 में वीरता तथा वीरगति को प्राप्त हुए | रामसिंह के तेरह पुत्र थे | जो रामावत राठोड़ कहलाये | रामसिंह के तीसरे पुत्र जसवंतसिंह के जयेष्ट पुत्र अमरसिंह को साठ गाँवो सहित खेड़ा की जागीरी मिली तो रतलाम राज्य में था | यह अंग्रेजी सरकार द्वार कुशलगढ़ बांसवाडा के नीचे कर दिया गया | विक्रमी संवत 1926 में कुशलगढ़ बांसवाडा के नीचे कर दिया |
3. भारमलोत जोधा :- जोधा की हूलणी राणी के पुत्र भारमल के वंशज भारमलोत जोधा कहलाये | इनके वंशज झाबुआ राज्य में निवास करते है |
4. शिवराजोत जोधा :- जोधा की बघेली राणी के पुत्र शिवराज के वंशज शिवराजोत जोधा कहलाये |
5. रायपालोत जोधा :- जोधा को भटियानी राणी के पुत्र रायपाल के वंशज रायपालोत जोधा कहलाये |
6. करमसोत जोधा :- जोधा की भटियानी राणी के पुत्र करम्सी के वंशज करमसोत जोधा कहलाये | खींवसर ( 26 गाँव ) बड़ा ठिकाना था | इसके अतिरिक्त भोजावास , धरणी , पांचोड़ी , बागणवाडो, सांढीको, आचीणे, हमीरानो , देयु , गोवणा , टालो माडपुरी, चटालियो , सोयला , नागड़ी , खारी, भदवासी , गिरावड़ी, हरिमो , जीवास , सीगड़, कादरपूरा , थलाजू , बह, आसरनडो, उस्तरा , सावंत कुआ , अमरलायी , रंगालो, सिरानो , छगाडो, सोमडावास , गीगालो , राजुवास , जाखणीओ , बाल्वो, डावरो , बाहारो वडो, आदी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे | बीकानेर राज्य में रायसर , बकसेउ , नोखा आदी ठिकाने थे |
7. बणवीरोत जोधा :- जोधा की भटियानी राणी के पुत्र बणवीर के वंशज बणवीरोत जोधा कहलाये |
8. खंगारोत जोधा :- राव जोधा के पुत्र जोगा के पुत्र खंगार हुए | इसी खंगार के वंशज खंगारोत जोधा कहलाये | खारीयो , पुनास, जालसू , बड़ी ,डाहोली, खारी और छापली इनके गाँव ऐक ऐक गाँव के ठिकाने है |
9. नरावत:- सूजा के बेटे नरा के वंशज | भडानो , बासुरी , बुहु, कसुबी, बाधणसर आदी इनके ठिकाने थे |
10. सांगावत जोधा :- सूजा के पुत्र सांगा के वंशज
11. प्रतापदासोत :- सूजा के पुत्र प्रतापदास के वंशज
12. देविदासोत :- सूजा के पुत्र देवीदास के वंशज |
13. सिखावत :- सूजा के पुत्र सिखा के वंशज |
14. नापावत :- सूजा के पुत्र नापा के वंशज |
15. बाघावत जोधा :- रिड़मल जी मंडोर के पुत्र राव जोधा राठोड़ कहलाये | जोधाजी की म्रत्यु के बाद बड़े पुत्र सातल की म्रत्यु विक्रमी संवत 1549 इसवी संवत 1492 में होने पर जोधाजी के दुसरे पुत्र सूजा गादी पर बेठे | सुजाजी के पुत्र बाघाजी विक्रमी संवत 1549 में सोजत की चढ़ाई में काम आये | इसी बाघा के वंशज बाघावत राठोड़ कहलाये | मारवाड़ में बाघावत जोधाओं का मुख्या ठिकाना पहाड़पूरा था | इसके अलावा आरण और सिकारपूरा ऐक ऐक गाँव ठिकाने थे |
16. प्रतापसिहोत जोधा :- सूजा के पुत्र प्रताप सिंह के वंशज |
17. गंगावत जोधा : - जोधपुर के राव सूजा के पश्चात् बाघा के पुत्र और सूजा के पोत्र गंगा गादी बेठे | इसी गंगा के वंशज गंगावत जोधा कहलाये | मारवाड़ में गंगावत जोधाओं के कालीजाड़ , हेजावास , साली आदी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने है |
18. किश्नावत जोधा :- गंगा के पुत्र किशनसिंह के वंशज किश्नावत जोधा कहलाते है |
19.रामोत जोधा :- गंगा के पुत्र राव मालदेव जोधपुर के शासक थे | इनके पुत्र राम के वंशज रामोत जोधा कहलाये | मारवाड़ में पावा इनका मुख्या ठिकाना है | मालवा में अमझेरा इनका राज्य था | इनका वर्णन अमझेरा राज्य के अनागर्त कर दिया गया |
20. केशोदास जोधा :-राम के पुत्र केशोदास के वंशज केशोदाश जोधा भी कहलाते है |
21. चन्द्रसेणोत जोधा : - राव मालदेव जोधपुर के पुत्र चन्द्रसेन का जन्म 1598 विक्रमी में हुआ था | मालदेव के पश्चात विक्रमी संवत 1619 में गढ़धि पर बेठे | राना प्रताप की तरह उन्होंने भी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की | इस कारन जोधपुर का राज्य अकबर ने इनके भाई उदयसिंह को दे दिया | इन्ही चन्द्र सेन के वंशज चन्द्रसेणोत जोधा कहलाये | भिनाय, बाँधनवाडा, देवलिया , बडली, केरोठ , देवगढ़ बगेरा इनके बड़े ठिकाने तथा पालड़ी , नीब्ड़ी, कोठारिया , छापड़ा , डीकावो, पावटा , इनके ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |
22. रतनसिहोत जोधा :- जोधपुर के राव गंगा के पुत्र रतनसिंह के वंशज रतनसिहोत जोधा कहलाये | भाद्रजूण ( 11 गाँवो का ठिकाना ) बीजल ( तीन गाँव ) इनके मुख्या ठिकाने थे | इनके आलावा ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |
23. महेश दासोत जोधा :- राव मालदेव के पुत्र महेश दास के वंशज महेश दासोत जोधा कहलाये | पाटोडी ,( तीन गाँव ) केसवाणा ( दो गाँव ) नेवरी ( २ गाँव ) आदी इनके मुख्या ठिकाने थे | तथा सिरथलो , फलसुंड , नागाणी , नेह्वायी , साईं , सीख आदी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |
24.भोजराजोत जोधा :- राव मालदेव के पुत्र भोजराज के वंशज भोजराजोत जोधा कहलाये | भगासणी इनका गाँव का ठिकाना था |
25. अभेराजोत जोधा :- राव मालदेव के पुत्र रायमल के पुत्र कनोराव के पुत्र अभेराज के वंशज अभेराजोत जोधा कहलाये | इनके मुख्या ठिकाने नीबी ( 11 गाँव ) था | हुडावास , बोसणी और डावरीयोणी दो दो गाँवो के ठिकाने तथा खारठिओ , दताउ , चक , देवडाटी, ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |
26. केसरीसिहोत जोधा :- राव मालदेव के पुत्र रायमल के पुत्र केशरीसिंह के वंशज केसरीसिहोत जोधा कहलाये | लाडणु ( ६ गाँव ) सीगरावट( तीन गाँव ) लेहड़ी ( पांच गाँव ) गोराउ ( तीन गाँव ) मामडोदा( दो गाँव ) तूबरो ( दो गाँव ) सेतो ( दो गाँव ) सीगरावट( दो गाँव ) खारडीया ( दो गाँव ) कुस्बी जाखड़ा . अंगरोटियों आदी मुख्य ठिकाने और ऐक ऐक गाँव के करीब 40 ठिकाने थे | केसरी सिंह के वंशज अर्जुनसिहोत जोधा है | सीवा, रसीदपूरा , रामदणा , कुसुम्भी , मिढ़ासरी, सावराद, लोढ़सर , खारडीया , मंगलपूरा , मांजरा, तान्याउ , ललासरी, सिकराली , कंग्सिया , कुमास्यो, रताऊ , भंडारी , मोलासर आदी इनके गगाँव है\
27. बिहारीदासोत जोधा :- मालदेव जोधपुर के पोत्र कल्याणदास के पुत्र इश्वर दास के पुत्र बिहारी दास के वंशज बिहारीदासोत जोधा कहलाते है | मारवाड़ में रोहिसी तथा मुडीयासरी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने है |
28. करभ सेणोत :- मालदेव के पोत्र उग्रसेन चंद्रसेनोत के पुत्र कमरसेनोत के वंशज करमसेनोत जोधा हुए | भिणाय इनका ठिकाना था |
29. भानोत जोधा :- मालदेव के पुत्र भानजी के वंशज |
30. डुंगरोत जोधा :- मालदेव के पुत्र डूंगरसी के वंशज |
31.गोयंददासोत जोधा :- बादशाह अकबर ने चंद्रसेन द्वारा अधीनता स्वीकार न करने पर उनके छोटे भाई उदयसिंह को जोधपुर का राज्य दे दिया | इन्ही उदयसिंह के पुत्र भगवान दास के पुत्र गोयंददास हुए इन्ही के वंशज गोयंद दास जोधा हुए | इनके मुख्य ठिकाने खेरवे ( 10 गाँव ) बाबरो ( 6 गाँव ) बलाडो( दो गाँव ) थे | इनके आलावा खारडी, बुटीयास, अलचपुरो , आंतरोली बड़ी रायिको ( दो गाँव ) आदी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |
32.जयतसिहोत जोधा :- मालदेव के पुत्र उदयसिंह के पुत्र जयत सिंह के वंशज |
33. माधोदास जोधा :- उदयसिंह के पुत्र माधोदास के वंशज है | पिसाग़ण , महरू , जून्या , पारा ,गोविन्दगढ़ आदी इनके ठिकाने थे |
34. सकतसिहोत जोधा :- मोटे राजा उदयसिंह के पुत्र सकत सिंह के वंशज सकतसिहोत जोधा कहलाये | इनका मुख्या ठिकाना खरवा व् किशनगढ़ राज्य में रघुनाथ पूरा ऐक ठिकाना था | राव गोपालसिंह खरवा भारतीय स्वाधीनता संग्राम में ख्याति प्राप्त स्वतन्त्रता सेनानी थे |
35. किशनसिहोत जोधा :- उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह के नवीन राज्य किशनगढ़ की स्थापना की | इनके वंशज किशन सिहोत जोधा कहलाये | रलावता , फतह गढ़ , ढसूक,करकेडी इन्ही के ठिकाने है |
36. नरहर दासोत :- उदयसिंह के पुत्र नहरदास के वंशज | नदणी , नरवर , भदूण इनके ठिकाने थे |
37.गोपालदासोत जोधा :- मोटे राजा उदय सिंह जोधपुर के पुत्र भगवान दास के पुत्र गोपाल दास के वंशधर गोपालदासोत जोधा कहलाते है | तोलासर , मालावासणी , खातोलायी , इनके ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |
38. जगन्नाथ जोधा :- उदय सिंह ( जोधपुर ) के पुत्र नहर दास के पुत्र जगन्नाथ के वंशज जगन्नाथ जोधा कहलाते है | मेड़ता के पास मोरेरा इनका ठिकाने थे |
39 . रतनसिहोत जोधा :- मोटे राजा उदयसिंह के बाद क्रमश दलपतसिंह , महेश दास ,रतनसिंह हुए | रतनसिंह ने मालवा में रतलाम राज्य की स्थापना की | रतनसिंह अपने समय में ख्याति प्राप्त योधा थे | धरमत( 1658ई ) के युद्ध मे सेना का सञ्चालन किया और युद्ध में वीरता प्रदर्शित करते हुए सच्चे क्षत्रिय की भांती वीरगति प्राप्त हुए | इन्ही रतनसिंह के वंशज रतन सिहोत जोधा हुए | इनके पांचवे वंशज केशवदास ने सीतामउ के राजा मानसिंह के छोटे भाई जयसिंह ने सेलाना राज्य की स्थापना की | मालवा काछी बडोजा, मुल्तान , अमलेटा , जड़वास , सेमालिया, बडवास , पतलासी आदी ठिकाने थे |
40. कल्यान्दासोत जोधा :- रतनसिंह के कल्याण दासजी के वंशज कल्याणदासोत जोधा कहलाये है | जालणीयासर , आकोडो, जानेवो , इनके एक ऐक गाँव के ठिकाने थे | मालवा में मोरिया खेड़ी ( सीतामउ राज्य ) टोलखेड़ी ( जावरा राज्य ) तथा कोटा राज्य में बाराबड़ोदा इनके ठिकाने है |
41. फतहसिहोत जोधा :- रतनसिंह के रतलाम के छोटे भाई फतह सिंह ने धरमत के युद्ध में वीरगति पायी | इनके वंशज फतहसिहोत जोधा कहलाये | धार के पास इनके दो गाँव पाना व कोद विड़वाल थे और ग्वालियर राज्य में पचलाना और रुनिजा इनके ठिकाने थे | तथा बोरखेड़ा, सरसी , केरवासा , सादाखेड़ी , इनके ठिकाने थे |इनके आलावा मध्य परदेश में मुगेला , पाणदा, लाखरी , आक्या , सांगथली , सुरखेड़ा , मसवाणीया , सारंगी , दोतरिया , सरवन आदी ठिकाने थे |
42. जैतसिंहोत जोधा :- मोटे राजा उदयसिंह के पुत्र जैतसिंह के वंशज जैतसिहोत जोधा कहलाये | इनके जैतगढ़, मेवाड़ीया , ( अजमेर प्रान्त ) खैरवा , नोखा ( मेड़ता ) कणमोर , मोरन आदी ठिकाने थे |
43. रत्नोत जोधा :- मोटे राजा उदयसिंह के पोत्र हरिसिंह जैतसिंहोत के ऐक पुत्र रतनसिंह के वंशज रतनोत जोधा कहलाये | मारवाड़ में इनके मुख्या ठिकाने में दुगोली खास ( 6 गाँव ) लोहोतो ( तीन गाँव ) पठाणा रो बास ?( दो गाँव ) थे | करीब 15 ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |
44. अमरसिहोत जोधा :- मोटे राजा उदयसिंह के बाद जोधपुर राज्य गादी पर क्रमश सूरसिंह व् गजसिंह बेठे | अमरसिंह गजसिंह के बड़े पुत्र थे \ गजसिंह के छोटे पुत्र जसवंतसिंह को उतराधिकारी बना दिया गया | इस कारन अमरसिंह नाराज होकर शाहजहाँ के पास चले गए | शाहजहाँ ने अमरसिंह को बड़ोदा, झलान, सांगोद, आदी परगने जागीर में देकर मनसबदार बना लिया | अमरसिंह ने वहां कई युधों में भाग लिया | नागोर भी उनके अधिकार में था | मतीरा की राड़ से अमरसिंह और बीकानेर नरेश में बिगड़ गयी | शाहजहाँ के दरबार में बीकानेर का पक्ष लेने के कारन सलावत खां को 1701 विकर्मी में दरबार में हि मार डाला और स्वयं भी बिठलदास गोड के पुत्र अर्जुन व् अन्य व्यक्तियों द्वारा मारे गए | वीरता के इतिहास में अमरसिंह का नाम प्रसिद्ध है | अमरसिंह के ख्याल राजस्थान के गाँवो - गाँवो में गए जाते है | इन्ही के वंशज अमरसिहोत जोधा कहलाये | इनका मुख्या ठिकाना गाँव सेवा था|
45. आन्नदसिहोत जोधा :- जसवंतसिंह जोधपुर के पुत्र अजीतसिंह के पुत्र आन्नदसिंह थे | इनके वंशज आन्नदसिहोत जोधा कहलाये | इडर गुजरात में हे जो इनका राज्य था
लगातार ..................
जय माताजी की
प्रस्तुतकर्ता surendar singh bhati tejmalt

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